सम्मेद शिखर जी की विशेषताएँ | Importance of Sammet Shikhar tour

सम्मेद शिखर जी की विशेषताएँ –

  1. श्री सम्मेद शिखर पर्वत की वंदना २७ किलोमीटर एवं परिक्रमा ५४ किलोमीटर है ।
  2.  जो भव्य जीव होते है,वह तीर्थक्षेत्र की प्रत्यक्ष -परोक्ष वंदना करते ही है ।
  3. एक कल्प काल के चतुर्थ काल में यहाँ से २४ तीर्थंकर और असंख्यात मुनिराज मोक्ष जाते है ।
  4. यह तीर्थक्षेत्र अनंतानंत आचार्यों,पर्मेष्ठियों की तपस्या एवं निर्वाण स्थली है ।
  5. इस क्षेत्र की स्वयं वंदना करना,आर्थिक द्रष्टि से एवं स्वास्थ्य की द्रष्टि से कमजोर व्यक्तियों को दना  कराने में सहायता करना, भव्य जीवो को अधिकतम पुण्य कराता है ।
  6. अनादिकाल से यह जीव मिथ्यात्व के फलस्वरूप चौरासी लाख योनियों में तथा चारो गतियों में जन्म-मरण कर रहा है |
  7. बहुत जन्मो के पुण्य सहयोग से हमें दुर्लभ मनुष्य गति,श्रावक कुल,जिनधर्म समागम,सत्संगति और जिन श्रद्धा प्राप्त हुई है ।इसका सदुपयोग अवश्य करें ।
  8. प्रत्येक श्रावक का परम कर्तव्य है कि वह इस क्षेत्र की प्रत्यक्ष -परोक्ष वंदना अवश्य करें ।
  9. तीर्थराज श्री सम्मेद शिखर जी की वंदना से शुभ कर्मो का आम्रव एवं पाप कर्मो का क्षय होता है ।
  10. जब भी हम इस क्षेत्र की प्रत्यक्ष रूप से वंदना करते है तब धार्मिक मर्यादाए,आर्थिक द्रष्टि एवं आचरण बनाये रखना चाहिए ।
  11. हम नित्य ऐसी भावना भाए कि शाश्वत तीर्थ श्री सम्मेद शिखर जी की वंदना हमारे जीवन में अवश्य होवे ।
  12. सफ़ेद कपड़ो से यात्रा करना मोक्ष प्राप्ति का फल देता है ।

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